नाम लिए बगैर स्थानीय कांग्रेस नेताओं पर साधा निशाना
टीसी पैराफेरी जमीनों की खरीद के लगाए आरोप
सुरतगढ़। सूरतगढ़ में शहरी क्षेत्र में टीसी कृषि भूमि की खातेदारी का मामला एक बार फिर गरमा गया है। विधानसभा में बजट सत्र में बोलते हुए शुक्रवार को विधायक रामप्रताप कासनिया ने इस मामले में सरकार को जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि भूमाफिया लोग गरीब किसानों से टीसी भूमि ओने पौने दामों में खरीद कर खातेदारी करवा रहे हैं। जबकि आम किसानों को खातेदारी नहीं दी जा रही है। उन्होंने टीसी भूमि के आवंटन की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि राजस्थान में आज तक जब भी कृषि भूमि का आवंटन हुआ है तो आवंटन कमेटी में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को शामिल किया जाता है। उन्होंने कहा कि लेकिन इस मामले में विधायक को छोड़िए स्थानीय कांग्रेस के भी किसी जनप्रतिनिधि को शामिल नहीं किया है। इस मामले में उन्होंने स्थानीय कांग्रेस नेताओं पर नाम लिए बगैर संगीन आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के 2-3 नुमाइंदों ने सैंकड़ों बीघा टीसी जमीन खरीदी है जिसकी खातेदारी मिलीभगत कर जारी कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर सरकार चाहे तो वे उनके नाम भी बता सकते हैं। उन्होंने कहा कि पैराफेरी बहुत बड़ा कलंक है यह हेराफेरी हैं ‘।
कासनिया के निशाने पर कौन ?
शहर के पैराफेरी क्षेत्र में टीसी भूमि की खातेदारी के मामले में विधानसभा में विधायक कासनिया के आरोपों के बाद कई सवाल खड़े हो गए है। कासनिया ने नाम न लेते हुए सरकार के नुमाईंदों पर सैकड़ों बिघा टीसी भूमि खरीदने का खुलासा किया। हालांकि कासनिया ने नाम नहीं लिया लेकिन वर्तमान में मील परिवार ही इलाके में कांग्रेस व सरकार की नुमाइंदगी कर रहा है। ऐसे में क्या यह मान लेना चाहिए कि कासनिया का सीधा सीधा आरोप मील परिवार पर है ? अगर ऐसा है तो यह काफी गंभीर आरोप है ! क्योंकि शहर में अतिक्रमनो और भूमाफियाओं के बढ़ते प्रभुत्व को देखते हुए पहले ही मिल परिवार की राजनीतिक प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। पिछले कुछ सालों में शहर में नेशनल हाईवे सहित शहर की विभिन्न बेशकीमती संपत्तियों पर एक के बाद एक भू माफिया और मिल परिवार की चापलूसी कर रहे छुटभइयों ने कब्जा कर लिया। अपनी राजनीतिक छवि के नुकसान के बावजूद मिल परिवार ने इन मामलों में चुप्पी साधे रखी। जिससे कहीं न कहीं इन मामलों में मील परिवार की संलिप्तता का मैसेज भी जनता में गया।
अब एक बार फिर अप्रत्यक्ष ही सही कासनिया के आरोपों ने इस मामले को गरमा दिया है। राजनीति में नेताओं की छवि बहुत मायने रखती है। हालांकि पूर्व विधायक गंगाजल मील की छवि सीधे व्यक्ति की हैं लेकिन चापलूसों से घिरे रहने के चलते पूर्व विधायक अपनी छवि को बेदाग नही रख पाए है। क्यों कि अब मील परिवार का राजनीतिक भविष्य हनुमान मील है। अपने भविष्य को देखते हुए अब इन चापलूसों ने हनुमान मील को शीशे में उतारने की कोशिश शुरू कर दी है। ऐसे में देखना होगा कि वे इन अप्रत्यक्ष आरोपों पर क्या जवाब देते हैं और इन चापलूसों से किस प्रकार निपटते है। वैसे राजनीतिक जीवन जी रहे लोग किसी शायर की इन पंक्तियां से सीख ले सकतें है।
दामन अगर है साफ तो खास एहतियात रख।
इससे जरा भी दाग छिपाया न जाएगा ।।
विधायक कासनिया ने उठाई सूरतगढ़ को जिला बनाने सहित विभिन्न मांगे
विधायक रामप्रताप कासनिया ने शुक्रवार को विधानसभा के बजट सत्र में इलाके की कई समस्याएं भी उठाई। विधायक कासनिया ने बजट को ‘हाथी का दांत’ बताते हुए निशाना साधा। विधायक कासनिया ने आवारा पशुओं की समस्या, सूरतगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को जिला या उप जिला स्तर में क्रमोन्नत करने, सूरतगढ़ राजकीय महाविद्यालय में विभिन्न विषयों का संचालन करने तथा महाविद्यालय की चार दिवारी का निर्माण करवाने, पेराफेरी क्षेत्र में लगे रहो राइडरों को हटाकर काश्तकारों को खातेदारी देने की मांग की। इंदिरा गांधी नहर परियोजना के जैसलमेर में सरकार द्वारा पक्के खाले बनाने की घोषणा को लेकर भी उन्होंने सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि खालो को पक्का करने का काम जैसलमेर के बजाय इंदिरा गांधी नहर की प्रथम चरण में करवाया जाए तो इससे किसानों को और सरकार को ज्यादा फायदा मिलेगा।
कासनिया ने अपने भाषण में सूरतगढ़ को जिला बनाए जाने व जैतसर पीएचसी को सीएचसी में क्रमोन्नत करने तथा जैतसर ग्राम पंचायत को नगरपालिका में क्रमोन्नत करने तथा किसानों को पूरी बिजली देने व संविदा कर्मियों को नियमित करने सहित अन्य मांगों को सदन पटल पर पुरजोर तरीके से रखा।
शहर के किसी भी नेता ने नही उठाई इलाके की मांगे !
विधानसभा के बजट सत्र में जहां विधायक रामप्रताप कासनिया ने सूरतगढ़ को जिला बनाने सहित विभिन्न मांगों को पुरजोर से रखा। वहीं दूसरी ओर गंगाजल मील व हनुमान मील सहित किसी भी अन्य पक्ष या विपक्ष के नेता ने बजट में सूरतगढ़ की कोई भी मांग नहीं उठाई। जबकि कई दिनों से सूरतगढ़ को जिला बनाने की मांग सोशल मीडिया पर लगातार उठ रही थी। इस मांग पर भी स्थानीय नेताओं ने एक पत्र भी मुख्यमंत्री को लिखने की जहमत नहीं उठाई। जबकि कांग्रेस के 1-2 नेता जयपुर में हुई बजट से पूर्व की बैठकों में इलाके के प्रतिनिधियों के रूप में पहुंचे थे। लेकिन सूरतगढ़ के लिए उन्होंने कोई मांग इन मीटिंग में रखी हो ऐसी कोई जानकारी मीडिया में नहीं आई।
इलाके की मांगे पूरी हो या नहीं लेकिन अगर यह जनप्रतिनिधि इलाके की समस्याओं को मुख्यमंत्री तक पहुंचाते तो निश्चित तौर पर जनता को लाभ होता वही इन नेताओं के कद में भी इजाफा होता।
-राजेन्द्र पटावरी, उपाध्यक्ष, प्रैस क्लब