हजारीराम मील ने भाजपा के पेपसिंह राठौड़ को 9 वोट से हराया
सेकंडों समर्थकों के साथ निकाला विजयी जुलुस

सूरतगढ़ । पंचायत समिति में कांग्रेस का प्रधान पद पर आखिर 17 साल बाद कब्जा हो गया। पिछले लगातार तीन चुनाव में कांग्रेस अपना प्रधान बनाने में कामयाब नहीं हो पाई थी । जैसे ही आज रिटर्निंग अधिकारी कपिल यादव ने हजारीराम मील की जीत की घोषणा की, कांग्रेस खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई। कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने मील को फूल मालाएं पहनाकर बधाई दी और कांग्रेस पार्टी जिंदाबाद के नारे लगाना शुरू कर दिये। इस मौके पर मील परिवार के गंगाजल मील और हेतराम मील के अलावा परिवार की महिला सदस्य व बच्चे भी मौजूद थे। मील परिवार के अलावा कांग्रेस नेता डूंगरराम गदर, नगरपालिका चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा,कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया, संगठन महामंत्री धर्मदास सिंधी, मुखराम खिलेरी, कॉलोनाइजर सुखवंत चावला सहित कई नेता व सैंकड़ो की संख्या में कार्यकर्ता इस मौके पर मौजूद थे। सभी नेताओं ने हजारीराम मील को जीत की बधाई दी।


भाजपा के पेप सिंह राठौड़ को 9 वोट से हराया
प्रधान पद के चुनाव में कांग्रेस के हजारीराम मील को 16 वोट मिले । वही भाजपा के पेप सिंह राठौड़ को महज 7 वोट मिले। इस प्रकार मील ने भाजपा प्रत्याशी को 9 वोट से हराकर प्रधान पद पर कब्जा कर लिया। हालांकि भाजपा के पास पंचायत समिति में 6 सीटें ही है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि एक निर्दलीय डायरेक्टर ने भाजपा के पक्ष में वोट दिया है। वही कांग्रेस को मिले 16 वोट में से 14 कॉन्ग्रेस के सिंबल पर जीते तो 2 वोट निर्दलीय के तौर पर जीतने के बाद में कांग्रेस में शामिल हुए डायरेक्टरों के रहे । यह और बात है कि कांग्रेस के पास बहुमत होने से प्रधान का चुनाव महज औपचारिकता मात्र था। राजनीतिक पंडित हजारीराम मील के प्रधान बनने की घोषणा बहुत पहले ही कर चुके थे।

आखिरकार 17 साल बाद कांग्रेस ने प्रधान बनाया
सूरतगढ़ पंचायत समिति में कांग्रेस के लिए पिछले 3 चुनाव किसी बुरे सपने से कम नहीं रहे। हालांकि 2015 के पिछले चुनाव में कांग्रेस सत्ता में नहीं थी । इससे पहले 2010 में स्थानीय स्तर पर गंगाजल मील के कांग्रेस विधायक होने और राज्य में सरकार होने के बावजूद जहां कांग्रेस को सफलता नहीं मिली वहीं सरकार नहीं होने के बाद भी भाजपा अपना प्रधान बनाने में कामयाब रही। सन 2005 में कांग्रेस के विपक्ष में होने से सफलता कांग्रेस से दूर रही। कुल मिलाकर पूर्व प्रधान मामराज बुडीया के बाद आखिरकार 17 साल बाद कांग्रेस ने प्रधान बनाकर भाजपा का तिलिस्म तोड़ दिया है।

सबको साथ लेकर करेंगे विकास : हजारीराम मील
पंचायत समिति का प्रधान की शपथ लेने के बाद हजारी राम मील पत्रकारों से रूबरू हुए। अब तक राजनीति से दूर रहने वाले हजारीराम मील कम शब्दों में अपनी बात रखी। उन्होंने सबको साथ लेकर विकास करवाने की बात कही। अपनी जीत के लिए उन्होंने मतदाताओं का आभार व्यक्त किया।

हजारीराम मील के लिए प्रधान का पद है चुनौती भरा
राजनीति में यूं तो मिल परिवार वर्षों से सक्रिय हैं। स्थानीय स्तर पर पूर्व विधायक गंगाजल मील और पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे हनुमान मील सक्रिय है। वहीं राज्य स्तर पर जाट महासभा के माध्यम से जयपुर में राजाराम मील राजनीति में सक्रिय हैं। बावजूद इसके सरल स्वभाव के चलते हजारीराम मील के लिए प्रधान पद निश्चित तौर पर चुनौती भरा रहने वाला है। कांग्रेस का बहुमत होने से भले ही उन्हें सत्ता च्युत होने का डर न हो। लेकिन प्रधान के रूप में इलाके के विकास की चुनौती उनके समक्ष है तो पंचायत समिति में गुटों में बंटे सरपंचों को साथ लेकर चलना भी उनके लिए एक मुश्किल टास्क होगा। खैर उम्मीद की जानी चाहिए कि वे जल्दी ही राजनीति का ककहरा सीख कर विकास की नई रेखा खींचने में कामयाब होंगे।
मील परिवार से जनता की उम्मीदें बढ़ी
नगरपालिका के बाद मील परिवार की अगुवाई में कांग्रेस ने पंचायत समिति पर भी कब्जा जमा लिया है। सुबे में कांग्रेस की सरकार होने से विधायक न होते हुए भी मील परिवार सूरतगढ़ में सत्ता का केंद्र है। ऐसे मे पंचायत समिति प्रधान के पद पर उनके ही परिवार का सदस्य काबिज़ होने से जनता की उम्मीदें और बढ़ गयी है। अंग्रेजी में कहावत है ‘पावर ब्रिंग्स रिस्पांसिबिलिटी’। जिसका अर्थ है पॉवर अपने साथ जिम्मेदारियां भी लाती है। क्योंकि पावर मील परिवार के पास है तो जिम्मेदारी भी उनकी है कि वे इस मौके का लाभ उठाते हुए विकास की नई इबारत लिखे । इसके लिए पिछली गलतियों से सबक लेना भी बहुत जरूरी है।
– राजेन्द्र पटावरी
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