
सुरतगढ़। अच्छी भली चल रही व्यवस्था को डिस्टर्ब करने का काम कुछ नेता करते रहते हैं। सरकारी कार्यालयों में बरसों से चल रहा शिष्टाचार इन लोगो से बर्दास्त नही होता हैं। बस सनक चढ़ गई तो लग गए व्यवस्था को बिगाड़ने। हम बात कर रहे हैं रायसिंहनगर विधायक बलवीर लूथरा की। नेताजी पिछले दिनों विजयनगर के उपपंजीयक कार्यालय में चल रहे शिष्टाचार पर उखड़ गए। नेताजी से ये बर्दाश्त नही हुआ कि उनके समर्थक से सरकारी बाबुओं ने बरसों से चली आ रही परंपरा को निभाने के लिए कह दिया। बस फिर क्या था बिफर गए नेताजी । नेताजी ये भूल गए कि उनके राज में आम जनता भी तो उसी परंपरा का निर्वाह कर रही हैं। वैसे भी बाबू तो ठहरे सरकारी सो नियमों के साथ परंपराओं की भी पूरी जानकारी रखते हैं और फिर लंबे समय से परंपराओं का निर्वाह करते हुए इतने रिजिड हो चुके हैं कि वे गरीब अमीर में फर्क नहीं करते, छोटे बड़े में फर्क नहीं करते। फिर आम जनता को भी तो कोई फर्क नही पड़ता हैं,काम करवाने के लिए शगुन का लिफाफा हाथ मे लिए हमेशा तैयार रहती है।
खैर बलवीर लूथरा ठहरे भाजपा विधायक और वैसे भी विपक्ष का तो काम ही होता है व्यवस्था को चुनौती देने का। सो उन्होंने बाबुओं की क्लास लगा दी। फिर क्या था बेचारे बाबुओं को माफी तो मांगनी पड़ी ही साथ ही साथ शिष्टाचार में लिया गया शगुन भी लौटाना पड़ा। इस अवसर पर बाबुओं की अंतरात्मा रो रही थी। वैसे सवाल ये भी है कि आखिर विधायक बनने के 3 साल बाद नेताजी को ये ज्ञान हुआ कि उपपंजीयक कार्यालय के बाबू शिष्टाचार का पालन करवाने को लेकर बेहद शख्त है।
खैर बलवीर लूथरा के इस कारनामें की चर्चा जिले भर में हो रही है। लेकिन अच्छी बात ये है कि सूरतगढ़ के नेताओं को बनी बनाई व्यवस्था को बिगड़ना बिल्कुल पसंद नहींं है चाहेेे वह नेता किसी भी पार्टी का हो। सरकारी कार्यालयों में शिष्टाचार का पालन करवाने वाले बाबू के साथ ऐसा व्यवहार आखिर कौन पसंद करेगा, हमारे नेता तो बिल्कुल भी नही । वैसे ईश्वर का शुक्र कहें या फिर यहां की जनता की किस्मत । पिछले 20 सालों में इस शहर को एक भी ऐसा नेता नहीं मिला है जोकि जो की इस व्यवस्था के खिलाफ हो। सब रजिस्ट्रार कार्यालय में दस्तावेजों के पंजीयन पर एक परसेंट का शगुन यहां भी बरसों से वसूला जा रहा है। लेकिन क्या मजाल कि हमारा कोई भी नेता इस पर सवाल खड़ा कर दें।
कुल मिलाकर सरकारी कार्यालयों में शिष्टाचार को भ्रष्टाचार मानने वाले वे लोग जो हमारे किसी नेता से बलवीर लूथरा बनने की मेरा उम्मीद पाले हुए हैं उनका इंतजार खत्म होने वाला नहीं है। यूूं भी तो इस शहर केे सभी नेता ‘अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता’ के स्लोगन को मानने वालेेे लोग हैं। इसलिए यहां इस व्यवस्था को हाल फिलहाल कोई खतरा कम से कम मुझेे तो नजर नहीं आ रहा। इसलिए मेरी माने तो सब रजिस्टार कार्यालय में जानेेे से पहले पॉकेट में एक परसेंट के हिसाब से शगुन का लिफाफा जरूर रख ले। क्यों कि आपने अपना वोट शिष्टाचार का पोषण करने वाले नेताओं को दिया है किसी अराजक बलवीर लूथरा को नहीं !
-राजेन्द्र पटावरी,
मोब.- 9928298484
9782696700
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