जैन आचार्य श्री जयानंद विजय सूरीश्वर महाराज का शहर में मंगल प्रवेश

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सुरतगढ़ को मिला आचार्य श्री जयानंद जी महाराज के चातुर्मास का सौभाग्य

सूरतगढ़। जैन आचार्य श्रीमद विजय जयानंद सुरीश्वर जी महाराज व गणिवर्य जय कीर्ति विजय जी महाराज सहित 5 जैन सन्तों ने मंगलवार को शहर में मंगल प्रवेश किया। इस मौके पर समाज के गणमान्य लोगों ने मुनि जनों का भव्य स्वागत किया। जैन संतो का काफिला पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस से शुरू होकर शहर के विभिन्न मार्गों से होता हुआ पुराना बाजार स्थित जैन मंदिर पहुंचा। प्रवेश में सकल जैन समाज के काफी संख्या में लोग उपस्थित थे। इस दौरान यात्रा में आगे हाथ में जैन ध्वज लिए बालक बालिकाएं और उनके पीछे समाज की महिलाओं ने अपने सर पर कलश लिए हुए गुरुदेव का स्वागत किया। प्रवेश के दौरान मुनि जनों का जगह-जगह स्वागत सत्कार किया गया। गाजे बाजे के साथ जैन समाज के श्रद्धालु नाचते झूमते हुए गुरु भक्ति का आनंद लेते नज़र आये।

श्री पार्श्वनाथ जैन मंदिर में पहुंचकर आचार्य श्री जयानंद जी महाराज ने मुनि मंडल व चतुर्वेदी संघ के साथ प्रभु की आराधना की।

आचार्य श्री जयानन्द जी महाराज ने स्वीकारी चातुर्मास की विनती

जैन उपाश्रय में धार्मिक सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री जयानन्द विजय ने समाज की विनती को स्वीकारते हुए आगामी चतुर्मास सूरतगढ़ में करने की घोषणा की। इस घोषणा के साथ ही समस्त जैन समुदाय के लोगों के चेहरे पर खुशी की लहर छा गई। आचार्य श्री जयानंद सुरीश्वर जी महाराज ने कहा कि भक्त और गुरु का रिश्ता बहुत ही पवित्र होता है। भक्तों की इच्छा के आगे गुरु को भी नतमस्तक होना पड़ता है। क्षेत्र के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए आचार्य श्री ने अपने लुधियाना प्रवास को निरस्त करते हुए इसी क्षेत्र में विचरण करने की घोषणा की।

मुनिराज श्री जय कीर्ति विजय जी महाराज ने कहा कि आज सूरतगढ़ के लोगों में इतना उत्साह देखकर मन प्रफुल्लित हुआ। उन्होंने कहा कि जब कोई समाज कुछ ठान लेता है तो वह उसे पूरा कर गुजरने के लिए कुछ भी कर सकता है। उन्होंने बताया कि पानी की प्राप्ति के लिए गड्ढे को जितना गहरा खोदोगे उतना ही मीठा जल मिलेगा। मन में दृढ़ संकल्प के साथ भक्ति भाव के साथ प्रभु व गुरु की सेवा करना ही श्रावक का उत्तम धर्म होता है।

गुरुदेव के स्वागत में हुए विभिन्न कार्यक्रम

जैन सन्तो के आगमन के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में श्री आत्म वल्लभ जैन महिला मंडल व तरुणी महिला मंडल द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। इसके साथ श्री आत्म वल्लभ जैन नवयुवक मंडल द्वारा गुरुदेव को विनती स्वरूप गीत प्रस्तुत किया गया।मनन डागा, मंजू चोपड़ा, अंजना पटावरी, तारा बांठिया, ज्योति डागा द्वारा गुरुदेव के स्वागत में वक्तव्य भजन प्रस्तुत किए। श्री आत्म वल्लभ जैन बालक व बालिका मंडल द्वारा गीतिका नृत्य व लघु नाटिका की शानदार ढंग प्रस्तुत दी गई तो कन्या मंडल द्वारा नृत्य प्रस्तुत किया गया व भजन के माध्यम से गुरुदेव का स्वागत किया गया।

वहीं श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के वरिष्ठ श्री पूनमचंद चोपड़ा, केसरी चंद्र डागा, विजय कुमार बैद, मदन डागा, भंवर लाल चोपड़ा की ओर से गुरुदेव को कांबली भेंट की गई। श्री मूर्तिपूजक जैन संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र चोपड़ा, पवन गोलछा, गुलशन डागा,सुशील सेठिया की ओर से सभी आगंतुक मेहमानों का स्वागत किया गया। सभा का सफल मंच संचालन प्रवीण डी जैन द्वारा किया गया।

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