राजनीति की भेंट चढ़ता ओवरब्रिज मामला !
शहर के लोगों के लिए समस्या बन सकता है और ब्रिज का नया नक्शा ?
सूरतगढ़। सूरतगढ़ में नेशनल हाईवे-62 पर पूर्व योजना के अनुसार ओवरब्रिज बनाने की मांग को लेकर लगाया गया धरना शुरू होने के साथ ही राजनीति की भेंट चढ़ गया। धरना स्थल पर कांग्रेस नेता और पिछले चुनाव में कांग्रेस के विधानसभा प्रत्याशी हनुमान मील के विधायक रामप्रताप कासनिया से सियासी मतभेद खुलकर सामने आ गए। हनुमान मील ने विधायक रामप्रताप कासनिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें आश्चर्य हो रहा है कि एक तरफ तो उनकी पार्टी से जुड़े लोगों ने ब्रिज का स्थान परिवर्तन कर इस समस्या को जन्म दिया तो दूसरी और खुद ही विधायक इस मामले में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। हनुमान मील के आरोपों का जवाब देते हुए विधायक कासनिया ने शहर में बने ओवरब्रिज को लेकर मील परिवार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक गंगाजल मील के कार्यकाल में शहर को लाइनपार क्षेत्र से जोड़ने वाले ओवर ब्रिज का नक्शा बदल दिया गया जिसका खामियाजा शहर की जनता भुगत रही है। इस पर हनुमान मील ने एक बार फिर मंच संभालते हुए कहा कि 30 साल से शहर की जनता इस ओवरब्रिज की मांग कर रही थी और यह लोग सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। इस दौरान चेयरमैन ओम कालवा और धरना संयोजक अधिवक्ता ममता शर्मा के बीच भी नोकझोंक हो
क्या है पूरा मामला ?
सूरतगढ़ में नेशनल हाईवे-62 पर नई धान मंडी के दक्षिणी द्वार से सूरतगढ़ पीजी कॉलेज तक एक ओवरब्रिज का निर्माण किया जा रहा है। इस ओवरब्रिज को लेकर हाईवे के दक्षिण दिशा में स्थित वार्ड नंबर 4 से लेकर 10 तक के लोगों में आक्रोश है। जिसकी वजह है ओवर ब्रिज का वर्तमान मॉडल। पूर्व में ओवरब्रिज इंदिरा सर्किल से बीकानेर की ओर जाने वाली सड़क पर स्थित कमल होटल से शुरू होकर इंदिरा सर्किल होते हुए सूरतगढ़ पीजी कॉलेज तक बनना था। पूर्व विधायक राजेंद्र भादू और नगरपालिका के चेयरमैन काजल छाबड़ा के समय में निर्माण कंपनी ने ओवर ब्रिज का नक्शा बदल दिया। लोगों का आरोप है कि पुराने नक्शे के अनुसार ओवरब्रिज बनने से इंदिरा सर्किल पर स्थित कुछ प्रभावशाली लोगों के होटल व दुकानें प्रभावित होती। जिसकी वजह से इन प्रभावशाली लोगों के दबाव में पूर्व चेयरमैन काजल छाबड़ा और विधायक राजेंद्र भादू ने निर्माण कंपनी पर ओवरब्रिज को कमल होटल के स्थान पर नई धान मंडी के दक्षिणी गेट से शुरू करने के लिए दबाव बनाया। जिसके बाद निर्माण कंपनी ने ओवरब्रिज का नक्शा बदल दिया और उसके बाद परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ओवरब्रिज का शिलान्यास कर दिया। लेकिन अब जब ओवरब्रिज का निर्माण शुरू हुआ है तब नेशनल हाईवे के दक्षिण दिशा में बसे आधा दर्जन वार्डों के लोगों की परेशानियों का दौर शुरू हो गया हैं। ओवर ब्रिज के निर्माण कार्य के चलते इन वार्ड के लोगों को शहर में आने जाने में परेशानी हो रही है। दूसरी समस्या यह है कि ओवरब्रिज जिस तरह से पिल्लर की बजाय कंक्रीट के ब्लॉक एक दूसरे के ऊपर रखकर बनाया जा रहा है उससे आने वाले दिनों में इन वार्डों के लोगों को धानमंडी या हाउसिंग बोर्ड की ओर जाने के लिए काफी लंबा रास्ता तय करना पड़ेगा। निर्माण कंपनी की ओर से हालांकि आवागमन के लिए एक अंडरपास के निर्माण की बात कही जा रही है लेकिन सच्चाई यह है कि अंडरपास के निर्माण से लोगों की समस्या कम होने वाली नहीं है। एक तरह से कह सकते हैं कि ओवर ब्रिज के इस पैटर्न से लगभग आधा दर्जन वार्ड शहर से पूरी तरह से कट जाऐंगे। इसी को देखते हुए अधिवक्ता पूनम शर्मा ने इन वर्गों के लोगों से बात कर शुक्रवार को धरने की शुरुआत किया। लेकिन धरनाा स्थल पर हुई राजनीति ने उनके प्रयासों पर पानी फेर दिया।
राजनीति के लिए शहर हित से समझौता
शहर में ओवरब्रिज की राजनीति नयी नहीं है। इससे पहले भी लाइनपार क्षेत्र को शहर से जोड़ने के लिए बनाया गया ओवरब्रिज भी राजनीति का शिकार हो चुका है। लोगों का आरोप है कि कांग्रेस के पूर्व कार्यकाल में भी कुछ प्रभावशाली लोगों के दबाव में ओवरब्रिज का नक्शा बदल दिया गया। जिसका खामियाजा भी शहर की जनता भुगत रही है। करोड़ों की लागत से बना यह ओवरब्रिज शहर की आम जनता के लिए लगभग नाकारा है। शहर के लोगों को लाइनपार क्षेत्र में जाने के लिए अंडरपास से गुजरना पड़ता है अगर यही ओवर ब्रिज मुख्य बाजार से शुरू होकर बड़ोपल रोड पर उतरता तो शायद ज्यादा उपयोगी होता। लेकिन राजनीति के जरिए सत्ता में बैठे लोगों को आम जनता की तकलीफों से कोई वास्ता नहीं है और ना ही शहर के राजनीतिज्ञों ने अपने पूर्ववर्तीयों की गलतियों से सबक लिया। इसी का नतीजा है नेेशनल हाईवे-62 पर बन रहा ओवर ब्रिज। पिछली बार की तरह इस बार भी ओवरब्रिज का नक्शा बदल दिया गया है। जिस नक्शे के अनुसार ओवरब्रिज बनाया जा रहा है उससे लगता नहीं है कि आम जनता को इस ओवरब्रिज से फायदा होनेेे वाला है हां यह जरूर कहा जा सकता हैं कि ओवरब्रिज का यह स्वरूप दोनोंं और के वार्डों की समस्याए जरूर बढ़ा देगा। इसलिए जरूरत इस बात की है कि दोनों दलों के नेेता राजनीति को छोड़कर ओवर ब्रिज के इस मामले को सुलझाएं।
–राजेंद्र पटावरी, उपाध्यक्ष-प्रेस क्लब, सूरतगढ़