फ्लाईओवर की घोषणा से कहीं खुशी कहीं गम

सूरतगढ़। शहर के इंदिरा सर्किल पर फ्लाईओवर बनने जा रहा है। इस फ्लाईओवर बनने से शहर के लोग खुश भी हो सकते हैं और निराश भी। खुश इसलिए हो सकते हैं कि फ्लाईओवर के बनने से शहर में भारी वाहनों का प्रवेश नहीं होगा। जिससे भारी वाहनों से होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आएगी,खासकर इंदिरा सर्किल के आसपास के क्षेत्र में। लेकिन दोनो तरफ दीवारों के डिज़ाइन वाला यह फ्लाईओवर आपको निराश भी करता है। क्यों कि इस तरह का फ्लाईओवर शहर को दो हिस्सों में बांट देगा। हाईवे के दक्षिण दिशा में स्थित वार्डों के लोगों को बाजार, हॉस्पिटल,पुलिस थाने, तहसील और नगरपालिका जैसे सरकारी कार्यालयों में आने जाने के लिए असुविधा होगी। हालांकि धानमंडी के दक्षिणी गेट के पास व हाउसिंग बोर्ड को खेजड़ी मंदिर से जोड़ने वालेे मोड़ पर दो अंडरपास के बनेंगे, जो इन दोनों हिस्सों को जोड़ने का काम करेंगे। वैसे देखा जाए तो हाईवे पर पहले से ही बन रहे दीवारों वाले ओवरब्रिज की वजह से पहले ही शहर दो हिस्सों में बंट चुका है। इंदिरा सर्कल का कुछेक हिस्सा ही इन वार्डो को शहर से जोड़ रहा था जो अब फ्लाईओवर के बनने से कट जाएगा। हालांकि जिस उद्देश्य के लिए नेशनल हाईवे पर ओवरब्रिज का निर्माण करवाया जा रहा है वह उद्देश्य इंदिरा सर्किल पर फ्लाईओवर या ओवरब्रिज बनाए बगैर पूरा नहीं हो सकता। बहरहाल औचित्यहीन और शहर को दो हिस्सों में बांटने वाले ओवरब्रिज के लगातार चल रहे निर्माण पर चुप रहने वाले राजनीतिज्ञों को फिलहाल इंदिरा सर्किल पर ओवरब्रिज की घोषणा ने राजनीति करने का नया मुद्दा दे दिया है। ऐसे में आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर राजनीति और तेज़ होने की उम्मीद है।
हाइवे पर ओवरब्रिज से फ्लाईओवर बनने का सफर
हाइवे पर वर्तमान में बन रहा ओवरब्रिज प्रारम्भ में इंदिरा सर्किल से बीकानेर रोड़ स्थित कमल होटल से शुरू होकर इंदिरा सर्किल होते हुए सूरतगढ़ पीजी कॉलेज तक बनना था। लोगों का आरोप है कि पुराने नक्शे के अनुसार ओवरब्रिज बनने से इंदिरा सर्किल पर स्थित कुछ प्रभावशाली लोगों के होटल व दुकानें प्रभावित होती। जिसकी वजह से इन प्रभावशाली लोगों के दबाव में पूर्व चेयरमैन काजल छाबड़ा और विधायक राजेंद्र भादू ने निर्माण कंपनी पर ओवरब्रिज को कमल होटल के स्थान पर नई धान मंडी के दक्षिणी गेट से शुरू करने के लिए दबाव बनाया। जिसके बाद निर्माण कंपनी ने ओवरब्रिज का नक्शा बदल दिया और इस नक्शे के अनुरूप परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ओवरब्रिज का शिलान्यास कर दिया।
लेकिन जब ओवरब्रिज का निर्माण शुरू हुआ है तब नेशनल हाईवे के दक्षिण दिशा में बसे आधा दर्जन वार्डों के लोगों को शहर में आने जाने में परेशानी होना शुरू हो गयी है। दूसरे लोगों को लगा कि दोनो तरफ दीवारों वाले ओवरब्रिज बनने से वे शहर से कट जाएंगे। निर्माण कंपनी ने आवागमन के लिए एक अंडरपास के निर्माण की बात भी कही, लेकिन इन वार्ड के लोगों ने ओवरब्रिज को कमल होटल से शुरू करने और पिलर पर बनाने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया। तमाम आरोप-प्रत्यारोप के बीच में संघर्ष समिति ने केंद्रीय सड़क मंत्री नितिन गडकरी से भी इस मामले को लेकर मुलाकात की। इस बीच विधायक रामप्रताप कासनिया ने केंद्रीय मंत्री से वार्ता में कमल होटल से शुरू होने वाले और पिल्लरों युक्त फ्लाईओवर की स्वीकृति मिलने की घोषणा वार्ड वासियों के समक्ष की। जिसके बाद संघर्ष समिति ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया।
हालांकि विधायक की घोषणा के बावजूद हाइवे का निर्माण कर रही कंपनी द्वारा दोनों तरफ दीवारों वाले ओवरब्रिज का निर्माण चलता रहा। लेकिन दोनों पार्टियों के लोग ये जानते हुए भी की यह ओवरब्रिज शहर को दोनों हिस्सों में बांट रहा है चुप्पी साधे ओवरब्रिज का निर्माण होते देखते रहे। बेचारी जनता भी क्या करती उसने भी दीवारों वाले ओवरब्रिज को ही अपना भाग्य मान कर स्वीकार कर लिया। अब जब एक बार फिर इंद्रा सर्किल फ्लाईओवर के घोषणा हुई हैं तब जनता की चिंताओं से दूर फ्लाईओवर की घोषणा से राजनीति का चूल्हा जल उठा है और राजनीतिज्ञ अब हाइवे की ठंडी राख पर बने रहे फ्लाईओवर पर रोटियां सेंकने के लिए तैयार हो गए हैं।
बड़ा सवाल- क्या पिल्लरों वाले फ्लाईओवर की ड्राइंग फर्जी थी ?

इस पूरे प्रकरण में एक बड़ा सवाल संघर्ष समिति द्वारा चलाए गए आंदोलन के समय विधायक द्वारा प्रस्तुत की गई फ्लाईओवर की ड्राइंग को लेकर भी है। उस समय विधायक की और से विभाग द्वारा स्वीकृत फ्लाईओवर की ड्राइंग भी संघर्ष समिति के अलावा मीडिया से शेयर की गई थी। जिसमें ये दर्शाया गया था कि सर्कल पर बनने वाला फ्लाईओवर पिल्लर वाला होगा न कि दोनों तरफ दीवार वाला। लेकिन अब जब ये तय हो गया है कि सर्कल पर बनने वाला फ्लाईओवर पिल्लर की बजाय दोनों तरफ दीवारों वाला होगा तो यह सवाल भी खड़ा होता है कि क्या वह ड्राइंग फर्जी थी ? क्या वजह रही कि उस ड्राईंग को रद्दी की टोकरी में फेंक कर फिर वही दीवारों वाला फ्लाईओवर पास कर दिया गया ?। ये ऐसे सवाल है जिन्हें विधायक को जनता के सामने साफ करना चाहिए।
राजनीति की बजाय पिल्लरों वाले फ्लाईओवर का हो प्रयास
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि विधायक रामप्रताप कासनिया के प्रयासों और जनता के संघर्ष से इंदिरा सर्किल पर कमल होटल से शुरू होने वाले फ्लाईओवर की स्वीकृति मिली है। फ्लाईओवर बनने से निश्चित तौर पर दुर्घटनाओं में कमी आएगी । लेकिन यदि यह फ्लाईओवर पिलरों पर बनता है तो निश्चित तौर पर आमजन के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होगा। इसलिए इस मुद्दे पर दोनों पार्टियों के नेताओं को राजनीति करने की बजाय इस बात की कोशिश करनी चाहिए कि यह फ्लाईओवर पिल्लरों पर बने।