डॉ. हरिमोहन सारस्वत्त रचित ‘म्हारो यार खेजड़ी है’ भजन का लोकार्पण 6 नवम्बर को

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सूरतगढ़। बुल्लेशाह ने परम सत्ता को ‘यार’ कहा है वो यार और बुल्ला उसकी प्रेमिका ! परम सत्ता पर भरोसे की उसी बात को आत्मसात करते हुए लगभग दो वर्ष पूर्व “यार खेजड़ी” भजन प्रसिद्ध साहित्यकार और पत्रकार डॉ. हरिमोहन सारस्वत ‘रूंख’ द्वारा रचा गया था।

डॉ. सारस्वत के अनुसार यह भजन उन्होंने कैसे लिखा, इसका उन्हें खुद पता नहीं ! बकौल सारस्वत थार के प्रवेश द्वार पर धोरों के बीच स्थित श्री हनुमान खेजड़ी दरबार, सूरतगढ़ की सांस्कृतिक पहचान है। इस मंदिर के प्रति आस्था कब शब्दों में ढलकर ‘म्हारो यार खेजड़ी’ बन गई उन्हें याद नहीं। डॉ सारस्वत्त के मुताबिक ज़ब उन्होंने ये भजन गायक और पत्रकार संजय भाटी को सुनाया गया तो उन्होंने मुझे ही इस भजन का गायक बनाने की ठान ली। लाख मना किया लेकिन भाटी नहीं माने और तुरता-फुरत रिकॉर्डिंग से लेकर वीडियोग्राफी, मिक्सिंग तक की सारी व्यवस्थाएं कर भजन तैयार डाला।

डॉ. सारस्वत ने बताया कि बुधवार, 06 नवंबर 2024 को श्री हनुमान खेजड़ी धाम, सूरतगढ़ पर सींथल के पीठाधीश्वर श्री क्षमाराम जी महाराज के सानिध्य में 1,08,000 श्री हनुमान चालीसा पाठ का बड़ा भव्य आयोजन है। सारस्वत्त के मुताबिक इसी कार्यक्रम में भजन का लोकार्पण किया जायेगा है।

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