अतिक्रमण मामले में समझौता, क्या मील परिवार को ही आंखें दिखाने लगे है चेयरमैन कालवा !

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अतिक्रमण मामले में समझौता, क्या मील परिवार को ही आंखें दिखाने लगे है चेयरमैन कालवा !

सूरतगढ़। शहर में वार्ड नंबर-4 के अतिक्रमण को लेकर राजनीति गर्म है। इस मामले में पालिकाध्यक्ष मास्टर ओमप्रकाश कालवा द्वारा प्रभावित लोगों से वार्ता के दौरान कुछ अतिक्रमियों के पुनर्वास यानि की पुनर्निर्माण की छूट दी गई। इतना ही नहीं मास्टर कालवा ने संबंधित वार्ड में ₹25 लाख रूपये के विकास कार्य की भी घोषणा कर डाली। इस मामले में प्रभावित लोगों द्वारा कांग्रेस नेता हनुमान मील की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं ? वहीं विधायक रामप्रताप कासनिया ने इसे कांग्रेस नेताओं के बीच धन के बंटवारे का झगड़ा बता दिया है।

                           लेकिन इस पूरे मामले में प्रभावित परिवारों और पालिका प्रशासन के बीच हुए समझौते से कई गंभीर सवाल खड़े होते है। सबसे पहला सवाल यह है कि आखिर पालिका प्रशासन और चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा अतिकर्मियों पर इतने मेहरबान क्यों है कि वे अतिकर्मियों को केवल पुनः कब्जे की छुट ही नहीं दे रहे बल्कि उनके इलाके में 25 लाख रुपए खर्च कर नाली और सड़क की व्यवस्था भी करेंगे ? दूसरा सवाल है कि क्या मास्टर ओमप्रकाश कालवा यह बात भी भूल गये कि नगरपालिका अध्यक्ष के रूप में उनका दायित्व अतिक्रमणो पर रोक लगाना था ना कि अतिकर्मियों को छूट देना ? तीसरी बात है कि क्या मास्टर ओमप्रकाश कालवा के पास यह अधिकार है कि वह अपनी मर्जी से सरकारी भूमि पर किसी को भी बैठा दें और उसे निर्माण की खुली छूट दे दे ?

कालवा नहीं चाहते थे कार्रवाई , क्या इसलिए हनुमान मील को बनाया टारगेट ?

वैसे कौन नहीं जानता कि मास्टर ओमप्रकाश कालवा वार्ड नंबर-4 के अतिक्रमणो को हटाना नहीं चाहते थे और उन्होंने अतिकर्मियों को बचाने के लिए पूरी ताकत लगा रखी थी ? चेयरमैन कालवा के कारण अतिक्रमण हटाने के दौरान पालिका अमला अधिशासी अधिकारी के निर्देश भी नहीं मान रहा था। जिसके बाद यह मामला कांग्रेस नेता हनुमान मील के पास पहुंचा और उन्हें खुद मौके पर पहुंचकर अतिक्रमण हटाने के लिए कहना पड़ा। शायद यही वजह रही कि मास्टर कालवा के इशारे पर हनुमान मील को टारगेट करते हुए हंगामा खड़ा करने की कोशिश की गई।

संभवत हनुमान मील को नीचा दिखाने के लिए ही मास्टर कालवा ने समझौता वार्ता के दौरान पालिका अमले को निर्देश देने वाले नेता के विरुद्ध कार्रवाई करने और संबंधित इलाके में 25 लाख रुपए के निर्माण कार्य करवाने की घोषणा की थी ? अब सवाल यह उठता है कि पूरे प्रकरण में पालिकाध्यक्ष के रूप में नगरपालिका प्रशासन और अपनी पार्टी के नेता के साथ रहने की बजाय चेयरमैन कालवा क्यों अतिकर्मियों की गोद में बैठ गये। क्या इससे यह अंदाजा नहीं लगाना चाहिए कि या तो यह अतिक्रमण चेयरमैन कालवा के इशारे पर हुए हैं या फिर अतिक्रमण में हुई बंदरबांट का एक बड़ा हिस्सा भी चेयरमैन कालवा की जेब तक पहुंचा है ?

इसके अलावा हनुमान मील की नाराजगी की अनदेखी कर किया गया यह समझौता इस बात का इशारा नहीं है कि चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा अब मील परिवार को ओवरटेक करने की फिराक में है। इस समझौते के जरिए कालवा ने शायद यही संदेश देने की कोशिश की है !

31 दिसंबर 2021 तक रिहाइश की दलील भी गलत 

इस पूरे प्रकरण में आंदोलनकारी नेताओं और प्रभावित लोगों द्वारा बार बार यह दलील दी गई कि राज्य सरकार ने प्रशासन शहरों के संग अभियान के दौरान 31 दिसंबर 2021 तक पट्टे देने को कहा है। नेताओं का यह कहना था कि इन परिवारों के पास  बिजली-पानी के कनेक्शन है इसलिए उन्हें पालिका उजाड़ नहीं सकती ? लेकिन यह जान लेना चाहिए कि नगरपालिका प्रशासन केवल बिजली-पानी के कनेक्शन के आधार पर पट्टे नहीं देता है। उसके लिये पालिका कम से कम 2018-19 की वोटर लिस्ट सहित राशन कार्ड व अन्य दस्तावेज भी मांगती हैं। इसलिए केवल यह कहना कि बिजली पानी का कनेक्शन पट्टे और रिहाईश का पर्याप्त सबूत नहीं है। इसलिए संबंधित लोगों द्वारा सरकारी भूमि पर कमरा,मकान या चारदिवारी कर किया गया अतिक्रमण अवैध ही है वैध नहीं है !

जिला प्रशासन के निर्देश पर अतिकर्मियों के निर्माण पर लगी रोक

 इस प्रकरण में भले ही मास्टर ओमप्रकाश कालवा निजी स्वार्थ और राजनीतिवश भूल गए हो कि उन्हें सरकारी भूमि पर किसी को भी अपनी मर्जी से अतिक्रमण की छूट देने का अधिकार नहीं है। लेकिन जिला प्रशासन यह बात अच्छी तरह से जानता है। शायद इसी वजह से जब दूसरे दिन चेयरमैन कालवा के कहने पर अतिकर्मियों द्वारा निर्माण शुरू किया तो जिला कलेक्टर के निर्देशों के बाद प्रशासन ने निर्माण पर रोक लगा दी। प्रशासन द्वारा लगाई गई रोक अपने आप में ही चेयरमैन कालवा के मुंह पर एक तरह का तमाचा है ?  

अतिक्रमण के आरोपों के बीच मील परिवार की मुश्किल  

शहर की राजनीति में फिलहाल वर्चस्व रखने वाले मील परिवार पर अतिक्रमणो को लेकर अक्सर आरोप लगते है। इन आरोपों के बीच मील परिवार की फिलहाल मुश्किल यह है कि जब उनकी और से अतिक्रमणो के खिलाफ कार्रवाई की जाती है तो उन्हें क्रेडिट देने की बजाय राजनीतिक रंग दे दिया जाता है। इसके बावजूद पिछले कुछ समय से मील परिवार अतिक्रमण के खिलाफ सख्त रवैया अपनाए हुए हैं। इसी का नतीजा है कि पहले पालिका उपाध्यक्ष से संबंधित वार्ड नंबर-2 में जूस बार के अतिक्रमण पर पीला पंजा चला तो वहीं वार्ड-45 के आईडीएसएमटी योजना के अवैध निर्माण को भी पार्षदों की नाराजगी की अनदेखी कर हटा दिया गया। इसके बाद वार्ड नंबर-4 के 60 से अधिक अतिक्रमण भी चेयरमैन कालवा के अप्रत्यक्ष विरोध के बावजूद हनुमान मील के हस्तक्षेप पर ही हटाए गए।

  यही नहीं नेशनल हाईवे-62 पर भी कल ही प्रशासन ने एक विवादित भूमि पर सरकारी संपत्ति होने के बोर्ड लगाए गए हैं वे भी मील परिवार के निर्देश पर लगाए गए हैं। कुल मिलाकर फिलहाल मील परिवार खुद पर लगे अतिक्रमणो के दाग धोने की तैयारी में है। इसलिए अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कारवाई का स्वागत किया जाना चाहिए।    

राजेंद्र पटावरी, उपाध्यक्ष-प्रेस क्लब,सूरतगढ़

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