सूरतगढ़। विधायक डूंगरराम गेदर के पीएसओ द्वारा एक युवक को थप्पड़ मारने का वीडियो कल से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो के बहाने विरोधी विधायक गेदर को घेरने का प्रयास कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग इस घटनाक्रम को लेकर सवाल भी उठा रहे हैं कि आखिर विधायक के पीएसओ को थप्पड़ करने का क्या अधिकार है ? हालांकि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि विधायक के गनमैन को किसी आम आदमी को थप्पड़ मारने का अधिकार नहीं है ? लेकिन अगर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो को गौर से देखा जाए तो गलती केवल विधायक के पीएसओ की ही नहीं नज़र आती, कहीं ना कहीं युवक भी घटनाक्रम के लिए बराबर का जिम्मेदार नज़र आता है। प्रत्यक्षदर्शीयों के मुताबिक युवक काफी एग्रेसिव था और बार-बार विधायक के नजदीक आने की कोशिश कर रहा था। इस पर विधायक के पीएसओ ने युवक को विधायक के नजदीक जाने से रोक दिया। इसके बाद वीडियो में जैसा की नजर आ रहा है युवक बार-बार पीएसओ से उलझने की कोशिश करता है। विधायक के पीएसओ ने एक बार युवक को धक्का देकर दूर कर दिया, उसके बाद फिर युवक पीएसओ की तरफ बढा तो पीएसओ युवक को पीछे कर आगे बढ़ गया, जिसे वीडियो में साफ देखा जा सकता है। लेकिन इसके बाद एक बार फिर यह उत्तेजित युवक यह कहते हुए पीएसओ का गिरेबान पकड़ लेता है (जिसे खबर के साथ लगे थंबनेल में देख सकते है) और कहता है कि धक्का मार दोगे क्या (वीडियो में सुन सकते है) ? बस यहीं पर विधायक के पीएसओ ने आपा खो दिया और युवक को थप्पड़ जड़ दिया। साफ है कि पूरी घटना को किसी खास राजनीतिक चश्मे से देखने वाले लोग इसे केवल पीएसओ की गलती बताकर विधायक डूंगरराम गेदर को घेरना चाहते हैं। वहीं कुछ नासमझ लोग यह भी कह रहे हैं कि विधायक को पीएसओ की जरूरत ही क्या है ? अरे भई विधायक को पीएसओ की जरूरत है या नहीं, यह सवाल तो राज्य सरकार से पूछना चाहिए, जिसने कि सुरक्षा की दृष्टि से सभी विधायकों को पीएसओ दिए है।
बहरहाल इस घटनाक्रम के बाद एकबारगी तो यह मामला सुलट गया। लेकिन राजनीति करने वालों को मुद्दों की नहीं, मोकों की जरूरत होती है तो अब कुछ लोग मामले को जातीय अस्मिता से जोड़कर विधायक के पीएसओ के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। अब इन लोगों को कौन समझाए कि ज़ब युवक की तरफ से पीएसओ के खिलाफ मुकदमा होगा तब क्या पीएसओ की तरफ से युवक पर राज्यकार्य में बाधा और जाति सूचक गालियां निकालने जैसी संगीन धाराओं में मामला दर्ज नहीं करवाया जाएगा ? साफ है कि पीएसओ का तो पता नहीं क्या होगा राजनीति के चक्कर में युवक जरूर मुश्किल में फंस जायेगा।
वैसे इस पुरे मामले में बीजेपी के शीर्ष नेता अभी भी मुंह में दही जमाए बैठे हैं। जिसके दो ही मतलब निकलते हैं एक तो ये कि इस प्रकरण में उन्हें कुछ गलत नजर नहीं आ रहा है या फिर दूसरा ये कि भाजपा हो या कांग्रेस दोनों पार्टियों के ऊपरी स्तर पर सभी नेता मिले हुए है। ऐसे में मामले को तूल देने में जुटे छूटभैया नेताओं को कुछ भी निर्णय से लेने से पहले अपने आकाओं से एक बार अच्छी तरह से राय मशवरा कर लेना चाहिए।
गेदर की सक्रियता से विपक्षी परेशान, ऐसे में साज़िश की भी आशंका ?
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि एक विशेष वर्ग के कुछ नेताओं के विरोध और अपनी साफ छवि के चलते करीब 50000 वोटों से जीत दर्ज करने वाले डूंगरराम गेदर सरकार नहीं होने के बावजूद इलाके में पूरी तरह से सक्रिय हैं। जबकि पिछली सरकार में हमने देखा था कि पूर्व विधायक और दिग्गज नेता सरकार नहीं होने और मेरी तो चाल कोनी जैसे जुमलो का रोना रोते हुए पूरे 5 साल तक रजाई ओढ़कर सोते रहे। वहीं तमाम तरह की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद गेदर जनता के बीच मे मौजूद हैं। यहीं नहीं ज़ब डेढ़ साल की सत्ता में ही राष्ट्रवादी पार्टी के भाजपा नेता और उनके रिश्तेदार भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते जनमानस में बेनकाब हो चुके हैं। विधायक डूंगरराम गेदर के पौने 2 साल के कार्यकाल की एक उपलब्धि यह भी है कि वे अब तक भ्रष्टाचारों के आरोपों से बचे हुए है।
दूसरी और शहर में आफत के रूप में बरस रही बरसात की बात करें तो भी विधायक गेदर भाजपा नेताओं से कहीं आगे नजर आते हैं। जहाँ भाजपा नेता और उनके पुत्र जिनकी सत्ता में पकड़ है और जो अधिकारियों का कान पकड़कर कोई भी व्यवस्था करवा सकते हैं, वे भी बस जनआक्रोश से बचने के लिए फोटो खिंचवाकर रस्म अदायगी कर रहे है। भाजपा के दूसरे खेमे का हाल तो और भी बुरा है अधिकारी उनकी मानेंगे या नहीं मानेंगे इस डर से वे बाहर भी निकालने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहे हैं। उस पर बेशर्मी का आलम यह है कि शहर की अव्यवस्था के लिए विधायक गेदर पर असफलताओं का दोष मंढ़ने का प्रयास जोर शोर से जारी हैं। ऐसे में कांग्रेस के नेता इस पूरे प्रकरण को एक साजिश के रूप में भी देख रहे है, जिसकी संभावना से इंकार भी नहीं किया जा सकता, क्यूंकि विधायक के पीएसओ द्वारा युवक को थप्पड़ मारने से पहले भी एक गुट द्वारा विधायक के विरुद्ध नारेबाजी की गई थी। जबकि विधायक तो विवाद को सुलझाने के लिए मौके पर पहुंचे थे।
कुल मिलाकर शहर के भाजपा के तमाम नेताओं से शहर की जनता की तरफ से हमारा अनुरोध है कि वे विधायक डूंगरराम गेदर के पीएसओ को भले ही जैल भिजवा दे किसी को भी कोई एतराज नहीं है, पर बरसात रूपी इस आफत से मुकाबले के लिए कम से कम शहर के आमजन के साथ खड़े होने की कृपा जरूर करें।
-राजेंद्र पटावरी, अध्यक्ष-प्रेस क्लब, सूरतगढ़।
Sahi akalan किया