सोशल मीडिया पोस्ट से फिर चर्चा में आए मास्टरजी

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सूरतगढ़ । नगरपालिका के चेयरमैन मास्टर ओम कालवा के पिता श्री जोधाराम कालवा ने एक अनुकरणीय पहल करते हुए अपनी पेंशन से 1200 बोतल मिनरल वाटर कोरोना मरीजो की सेवा में जुटे चिकित्सकों और नर्सिंग कर्मियों के लिए देने की घोषणा की है। चैयरमेन कालवा ने सोशल मीडिया पर फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए यह संदेश जारी किया है। इस मैसेज के आधार पर कई राज्यस्तरीय समाचारपत्रों ने भी इस मैसेज को बिना तथ्यों की जांच किये अगले दिन प्रकाशित भी कर दिया। लेकिन इस मैसेज के सोशल और प्रिंट मिडिया में सर्कुलेट होने के बाद से मास्टर कालवा एक बार फिर से चर्चा में आ गए है

मास्टर जी ओर उनके परिवार को नजदीक से जानने वाले लोग और मास्टर जी के राजनीतिक प्रतिद्वंदी इस पोस्ट में दिए गए तथ्यों के साथ ही मास्टरजी की मंशा पर भी सवाल खड़ा कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि इस पोस्ट में मास्टर कालवा ने अपने पिता को सेवानिवृत्त रिटायर्ड रेलवे अधिकारी बताया हैं जबकि वे सामान्य रेलवे कर्मचारी (गैंगमेन से कॅरियर की शुरुवात करते हुए) न कि अधिकारी के रूप सेवानिवृत्त हुए हैं।ऐसे में सवाल ये पैदा होता है कि आखिर मास्टर जी को अपनी पोस्ट में झूठ का सहारा क्यों लेना पड़ा ? क्या सच लिखने में कमतरी के एहसास से के चलते संकोचवश मास्टर जी ने झूठ का सहारा लिया ? या फिर क्या यह मान लिया जाए कि पोस्ट में मास्टर जी द्वारा दिया गया ब्यौरा सामान्य भूल के तहत दिया गया ? इन सभी प्रश्नों का उत्तर खुद मास्टर जी ही दे सकते हैं ,लेकिन मास्टरजी के डेढ़ साल के अब तक के कार्यकाल के बाद किसी जवाब की उम्मीद करना बेमानी होगा। वैसे भी सरकारी जमीन पर कब्जे के मामलों में हिस्सा मांगने के आरोप व कांग्रेस नेता हनुमान मील द्वारा लताड़ पिलाये जाने का दावा करने वाले ऑडियो के वायरल होने के बाद से उनके जवाब का इंतजार सभी को हैं। खैर जहां तक इस नए विवाद का सवाल है बेहतर होता कि मास्टर जी अपने पोलिटिकल मगज की जगह शिक्षकीय अनुभव का सहारा लेते हुए अपने पिता के लिए रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी शब्द का प्रयोग करते। मास्टर जी के पिता क्योंकि रेलवे (गैंगमेन) कर्मचारी के रूप में अपनी सेवाएं देते हुए ससम्मान सेवानिवृत्त हुए हैं और जिंदगी की तमाम जद्दोजहद के बीच अपने पुत्र को नगरपालिका के चेयरमैन पद पर बैठा देख रहे हैं इसलिए लगता नही कि उन्हें किसी भी तरह की कमतरी का एहसास होता होगा। ऐसे में उनके इस पुण्य कार्य की सूचना में झूठ का सहारा लेकर मास्टर जी ने अपने पिता का सम्मान कराने की बजाय अपनी मानसिक कमतरी का ही एहसास कराया है। मास्टरजी के लिए इन हालातों में किसी शायर की ये पंक्तिया बरबस याद रही है ..

  
वो जितनी ख़ुद-नुमाइ कर रहा है, खुद अपनी जग हंसाई कर रहा है।

जरा सा जोश क्या दरिया में आया,समंदर की बुराई कर रहा है।।

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