भ्रष्टाचार के महाकुंभ में पुण्य पट्टा हासिल करने वालों की सूची जारी

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लॉकडाउन में नगरपालिका में लगा था भ्रष्टाचार का महाकुंभ

चेयरमैन कालवा के आशीर्वाद से ईओ सांखला ने बांटे पुण्य पटटे

सूरतगढ़ । सनातन धर्म परंपरा में कुंभ मेले का एक अलग ही महत्व है। प्रत्येक व्यक्ति की यह इच्छा होती है कि वह जीवन में कम से कम एक बार कुंभ मेले में जाए और त्रिवेणी में डुबकी लगाये। कुंभ के बारे में कहा जाता है कि यह 12 सालों के बाद आता है। इसलिए हर कोई धार्मिक व्यक्ति इसका इंतजार करता है। यह तो हुई पुन्य कर्मों की बात ! लेकिन आपको मालूम न हो सूरतगढ़ नगरपालिका द्वारा भी भ्रष्टाचार के महाकुंभ का आयोजन समय-समय पर किया जाता है। कुंभ के मेले के विपरीत भ्रष्टाचार के इस महाकुंभ में शहर के भू माफिया- कब्जाधारी डुबकी लगाने को बेताब रहते हैं। लेकिन भ्रष्टाचार के इस महाकुंभ की जानकारी आम लोगों को नहीं होती है इसलिए इसका पुण्य प्रताप आमतौर पर केवल भूमाफिया और कब्जा धारियों व कुछ सफेदपोश लोगों को ही मिलता है। कोविड-19 के दौरान लॉकडाउन की शुरुआत में जब पूरा शहर महामारी से बचने की जुगत में लगा हुआ था और नगरपालिका पर लोगों को महामारी से बचाने और लोक डाउन की पालना की जिम्मेदारी थी। ठीक उसी समय मास्टर ओम कालवा के सानिध्य में ईओ लालचंद सांखला द्वारा भ्रष्टाचार के महाकुंभ का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में शहर के भूमाफिया-कब्जाधारियों और सफेदपोश लोगों ने भ्रष्टाचार की त्रिवेणी में डुबकी लगाने का आनंद उठाया। हालांकि इस महाकुंभ का आयोजन बेहद चुपके से किया गया था। परंतु धीरे धीरे अब उन लोगों की सूची सामने आने लगी है जो भ्रष्टाचार की त्रिवेणी में डुबकी लगाकर पुण्य पट्टा हासिल करने में कामयाब हुए। सूची सूचना के अधिकार अधिनियम की मदद से पूर्व चेयरमैन बनवारीलाल मेघवाल ने हासिल की हैं। हालांकि पूर्व नगरपालिका चेयरमैन बनवारीलाल मेघवाल के आवेदन पर पालिका प्रशासन ने आधी अधूरी जानकारी ही दी है। आवेदन के जवाब में पालिका द्वारा बांटे गये करीब पुण्य 25 पट्टों के बारे में ही जानकारी दी गई है। जबकि इस दौरान 100 से भी अधिक पट्टे जारी करने की बात कही जा रही है। तत्कालीन अधिशासी अधिकारी लालचंद सांखला के हस्ताक्षर से जारी इन पुण्य पट्टों में भारी भ्रष्टाचार किए जाने के आरोप लग रहे हैं। लोकडाउन के दौरान जारी किए गए इन अवैध पटटों को निरस्त करने और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग को लेकर स्थानीय अधिकारियों से लेकर स्वायत शासन विभाग के उच्चाधिकारियों तक शिकायत की गई है। उम्मीद है कि जल्द ही दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होगी। फिलहाल सूचना के अधिकार से पट्टों के बारे में जो जानकारी निकल कर सामने आई है वो काफी हैरान करने वाली है।

जोहड़ पायतन क्षेत्र भूमि में भी जारी किये पटटे

कस्बे के वार्ड नंबर 38,39 और 42 के निवासी पिछले कई सालों से अपने घरों के पट्टे बनाने के लिए नगरपालिका के चक्कर लगा रहे हैं। जब भी यह लोग नगरपालिका पहुंचते हैं तो उन्हें बताया जाता है कि उनका भूखण्ड जोहड़ पायतन क्षेत्र में आता है और जोहड़ पायतन क्षेत्र में पट्टे बनाने पर रोक लगी हुई है। लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों ने लॉकडाउन के दौरान जोहड़ पायतन क्षेत्र को भी नहीं बख्शा। सूचना के अधिकार के तहत मिले दस्तावेजों में सामने आया है कि ईओ सांखला ने कई पट्टे इन वार्डों में भी जारी कर दिए हैं। ईओ सांखला ने कच्ची बस्ती नियमन के तहत पट्टा संख्या -32 जो ओमप्रकाश s/o श्री पूर्ण प्रकाश,जाति-मोची,वार्ड नंबर-34 व पट्टा संख्या-48 जो कि गिरधारी लाल शर्मा s/o श्री दुलीचंद शर्मा ,वार्ड नंबर-39 के नाम से जारी किए वो जोहड़ पायतन क्षेत्र में आते हैं।

इसी प्रकार स्टेट ग्रांट के तहत जारी पट्टा संख्या-4 जोकि सुनीता पत्नी जेठाराम,जाति-मोची, वार्ड नंबर- 38 और पट्टा संख्या- 5 कृष्णा रानी पत्नी जयराम ,जाति मोची, वार्ड नंबर-38 के नाम से जारी किया गया है। परन्तु ये भूखण्ड भी जोहड़ पायतन क्षेत्र में आते हैं। तो क्या इसका मतलब यह नहीं मान लिया जाए कि पालिका प्रशासन के भ्रष्ट अधिकारीयों के लिए जोहड़ पायतन केवल एक बहाना है ? जब कोई पैसे वाला या प्रभावशाली व्यक्ति जोहड़ पायतन क्षेत्र में पट्टा बनाने आता है तो भ्रष्ट अधिकारी मोटा माल खाकर पट्टा जारी कर देते हैं।

खाली पड़ी सरकारी भूमि पर भी जारी किया पटटा

सूरतगढ़ नगरपालिका मे  भ्रष्टाचार और भ्रष्ट अधिकारियों के हौसले का जीता जागता उदाहरण है लाकडाउन के दौरान जारी किया गया पट्टा संख्या – 46 । नगरपालिका द्वारा 55×60 वर्ग फिट का यह पट्टा गोपी राम पुत्र श्री रामेश्वर लाल गोदारा, निवासी वार्ड नंबर-10 के नाम से जारी किया है। कच्ची बस्ती नियमन के तहत जारी ईस पट्टे को गौर करें तो पता चलता है कि यह पट्टा खाली पड़ी सरकारी भूमि पर ही बना दिया गया हैं। आम आदमी को भले ही कच्ची बस्ती क्षेत्र में पट्टा बनाने के लिए अपनी रिहाईश के दस्तावेजों के साथ साथ बिजली,पानी का राशन कार्ड और आस-पड़ोस के लोगों के शपथ पत्र और जाने क्या-क्या औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती है। पर इस मामले में बिना किसी दस्तावेज और बिना किसी रिहाइश के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पट्टा जारी कर दिया गया है। इस पट्टे को गौर से देखने पर पता चलता है कि नगरपालिका अधिकारियों ने मिलीभगत कर पट्टे में नियमित किए गए भूखंड की स्थिति के विवरण में 3 दिशाओं में ‘अन्य भूमि’ और एक दिशा में सड़क अंकित कर दी है। ऐसा इसलिए किया गया है कि पट्टाधारी व्यक्ति  इस वार्ड के किसी भी खाली भूखंड को अपना बताकर कब्जा कर सके। मजे की बात यह है कि पट्टाधारी व्यक्ति द्वारा कुछ माह पूर्व नेशनल हाईवे पर पड़ी बेशकीमती खाली भूमि जिसे कि पुलिस चौकी के लिए आरक्षित किया गया था पर पट्टे की आड़ कब्जा करने का प्रयास किया। जिसके बाद शिकायत होने पर पुलिस ने पट्टेधारी को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया। इस पट्टे को लेकर शहर मेंं यह भी चर्चा है कि पट्टा धारी केवल चेहरा मात्र है हकीकत में यह पट्टा भाजपा के पूर्व नेता जो विधायक राजेंद्र भादू के कार्यकाल में हाशिये पर डाल दिये गये थे का है। परंतु वर्तमान में ये कांग्रेस में शामिल होने के चलते राजनीति में बड़ा प्रभाव रखते हैं । इसी कारण पट्टाधारी को छुड़ाने के लिए पूर्व विधायक को सामने आना पड़ा। पर इस बीच पट्टा धारी को 2 दिन जेल की हवा जरूर खानी पड़ गई। खैर अब देखना यह है कि पट्टा धारी पट्टे की आड़ में वार्ड -10 के किस खाली भूखंड पर कब्जा जमाता है।


लॉकडाउन में भ्रष्टाचार की बहती गंगा में पट्टा पाने वाले खुशकिस्मत लोगों की सूची

सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के आधार पर हम सूरतगढ़ के आम लोगों के लिए उन लोगों की सूची और पटटे/ डीड की फोटो प्रति जारी कर रहे हैं जो लॉकडाउन में नगरपालिका में आयोजित भ्रष्टाचार के महाकुंभ में डुबकी लगाकर पुण्य पट्टा हासिल करने में  कामयाब रहे। यह अलग बात है कि उन्हें इसके लिए बड़ी दान दक्षिणा देनी बढ़ी दान दक्षिणा देनी पड़ी।

स्टेट ग्रांट एक्ट मेंं बनाए गए पट्टे

कच्ची बस्ती नियमों के तहत बनाए गए पट्टे

कृषि भूमि का रूपांतरण कर बनाए गए पट्टे

साख खोने के डर से चेयरमैन कालवा नहीं दे रहे पट्टो की पूरी जानकारी

ईओ लालचंद सांखला द्वारा अपने रिटायरमेंट से ठीक पहले बनाए गए फर्जी पट्टों को लेकर जब आरोप लगे थे तब मास्टर ओमप्रकाश कालवा ने अपने को पाक साफ बताया था। उनके द्वारा पटटो पर उनके हस्ताक्षर नहीं होने का तर्क भी दिया गया था। लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि जब चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा इस मामले में पूरी तरह से बात साफ है तो पूर्व चेयरमैन द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई पट्टों की पूरी जानकारी क्यों नहीं दी जा रही है? जिसका मतलब साफ है चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा की भूमिका इस पूरे प्रकरण में संदिग्ध है। इसीलिए साख खोने के डर से मास्टर जी सूचना के अधिकार को ठेंगा दिखाए हुए हैं।

– राजेंद्र पटावरी,उपाध्यक्ष-प्रेस क्लब,सूरतगढ़

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